The Definitive Guide to sidh kunjika



श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः

ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।

दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्

గమనిక: శరన్నవరాత్రుల సందర్భంగా "శ్రీ లలితా స్తోత్రనిధి"

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः

अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र here कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥ ११ ॥

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